" आखिर कब तक हम बंदरों की तरह गुलटियाँ मारते रहेंगे ? " आखिर कब तक हम बंदरों की तरह गुलटियाँ मारते रहेंगे ?
दरअसल ये नंबर हमारे सेट टॉप बॉक्स द्वारा खास हमारे लिए लिखे जाते हैं दरअसल ये नंबर हमारे सेट टॉप बॉक्स द्वारा खास हमारे लिए लिखे जाते हैं
होली है होली ओ गोरी नखरे वाली होली की मस्ती है संग रंगों की टोली। होली है होली ओ गोरी नखरे वाली होली की मस्ती है संग रंगों की टोली।
फिर एक दम अचानक से उसने उसी चाकू से अपनी गर्दन काट ली। फिर एक दम अचानक से उसने उसी चाकू से अपनी गर्दन काट ली।
तो किस बात की देरी है, कह दीजिए अपने दिल की बात? बंदा हाजिर है आज आपके लिए।" तो किस बात की देरी है, कह दीजिए अपने दिल की बात? बंदा हाजिर है आज आपके लिए।"